Friday, April 8, 2022

चाटना

 चाटना

ये एक ऐसा शब्द है जिसका प्रयोग हिंदी साहित्य में सामान्यता नहीं होता है | पर ये बड़ा ही मज़ेदार और असरदार शब्द है | ऐसा कौन होगा जिसे आइसक्रीम , लॉलीपॉप या चटनी चाटना पसंद नहीं होगा | आप अगर किसीको ऐसा करते देखते हैं तो आपको भी चाटने का मन करता है | आधुनिक युग में इस शब्द का प्रयोग एक और प्रक्रिया की तरफ इंगित करता है | इसका साहित्यिक शब्द है 'खुशामद ' करना और कई मौकों पर अत्याधिक 'खुशामद ' करना | आज के युग में चाटना और चटाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया बन चूका है | यह छेत्र ,जात ,धर्म से उप्पर जा चूका है | इंसान को अपने निजी स्वार्थ और उसकी प्राप्ति के लिए 'चाटना ' सबसे कारगर साधन दिखता है | हाँ, इसके कुछ अपवाद भी रहे हैं जब अदद 'चाटने ' के बावजूद भी इंसान चूक जाता है | कई बार होता ये है की चाटने वाला इंसान 'सही' इंसान को परखने में भूल कर जाता है और गलत आदमी को चाटने के कारण उसका काम लटक जाता है | खैर चाटना भी एक कला है और ये अनुभव से और भी निखर के आता है | कुछ लोग स्वाभाविक रूप से इस कला में पारंगत होते हैं , ख़ासकर वो जिनके अंदर और कोई प्रतिभा नहीं होती


चाटने की दुनिया में उतरने से पहले कुछ बुनियादी जरूरतों का ख्याल रखना पढता है | आपको अपनी शरीर की चमड़ी को गैंडे की चमड़ी के बराबर रखना पड़ेगा | दो कानों के बीच हवादार सुरंग का निर्माण करना होगा | अपनी जिहवा को मखन , तेल , घी से मालिस करना होगा | क्यूंकि बहुत सारे लोग आपको हिकारत की नज़रों से देखेंगे | पहले तो आपको आपका स्वाभिमान भी धिक्कारेगा | कुछ सामने से तो कुछ पीठ पीछे आपको ताने भी देंगे और आपको भला बुरा भी कहेंगे | वस्तुतः उनको आपकी अप्रत्याशित सफलता हजम नहीं होगी | इसके कारण कई हो सकते हैं जैसे ईर्ष्या,उनके पेट के अंदर नैतिकता के बैलून का अत्यधिक फूलना , आपसे स्पर्धा , उनकी पत्नी का आपकी पत्नी से ३६ का आँकड़ा इत्यादि इत्यादि | ये तमाम अरचन आएँगे | पर एक बार अगर आपने चाटने की कला सीख़ ली तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है |  

इस प्रक्रिया का दूसरा भाग आता है 'चटाना' | सामान्यता जिस इंसान को 'चाटा' जा रहा है वो ऊँचे ओहदे पर होता है | ऊँचे ओहदे पर होने के कारण बहुत कम लोगो से उसकी बातचीत होती है और वो अकेला हो जाता है | उसके नीचे काम करने वाले उससे भयाकुल रहते हैं और उससे बात करने से भी हिचकते हैं | यहाँ पर वो इंसान जिसने चाटने की कला सिख ली है , अपना सिक्का जमा लेता है | अपनी कला के बदौलत वो अपनी चिपचिपी बातों का जाल बुनता है और बॉस को फाँसता है | बॉस का भी एकांकी दूर हो जाता है और उसे अचानक अपने 'महान' होने का अभूतपूर्व एहसास हो जाता है | चाटने वाला इंसान इस बात को भलीभांति जानता है | अगर बॉस ने सड़ा हुआ सा भी मज़ाक किया तो वो उसे एहसास करा देगा की उसने मशहूर हाँस्य अभिनेता 'जॉनी वॉकर ' को पीछे छोड़ दिया है और बॉस के साथ कोई दुःख वाली बात घटित हो तो खुद 'रुदाली' बनने के लिए तैयार हो जाएगा | अगर बॉस ने मुँह धोया तो उसके लिए रूमाल लेकर खड़ा हो जाएगा | बॉस के पसंद नापसंद का पूरा ख्याल रखा जायेगा | बॉस के फरमाइस करने से पहले उस चींज को हाज़िर कर देगा जिस चीज के बारे में बॉस ने शायद सोचा ही हो | कई बार बॉस जिसको चाटा जा रहा है ख़ुद अचरज में पड़ जाता है की इतना ख्याल तो उसकी माँ या बीवी भी नहीं रखती | हिंदी गीत 'मैं दुःख तेरा ले लूँ , तू सुख मेरा ले ले ' यहाँ चरितार्थ हो जाता है

कुछ समय के बाद चट चट के बॉस खुद ही सफ़ाचट हो जाता है और चाटने वाला आदमी उससे भी आगे निकल जाता है | शायद ही कोई छेत्र हो जहाँ चाटने और चटाने की प्रक्रिया न चल रही हो | इस प्रक्रिया में काफ़ी स्पर्धा भी है और अपार अवसर भी हैं | तो भाईयों , 'चतनम शरणम् गच्छामि ' करें और आगे बढ़े

नोट- इस लेख को पढ़ते समय अपने ऑफिस या कार्यछेत्र के सबसे बड़े चाटने और चटने वाले व्यक्ति का समरण करें ,इससे लेख पढ़ने का दुगुना लाभ मिलेगा

कृत्य - कुणाल