Thursday, January 3, 2019

सांता की घर वापसी

सांता की घर वापसी


२४ दिसंबर की रात थी | सांता जापान होते हुए भारत में प्रवेश कर रहे थे | उनके हाथ में भारत से प्रकाशित होने वाले कुछ अख़बार के पन्ने थे जिससे वो यहाँ की ताज़ा जानकारी ले रहे  थे | चुकी भारत एक विशाल देश है , उन्होंने सिर्फ ३ राज्यों में घूमने का मन बनाया था | पहला राज्य था - पश्चिम बंगाल। सबसे पहले  वो हावड़ा  ब्रिज के पास उतरे | वहाँ उन्होंने अपने नियम के अनुसार कुछ बच्चों को चॉकलेट बांटा | वहीँ उनकी नज़र सफ़ेद साड़ी पहने एक नारी पर गयीं जो पेंट  ब्रश लेकर एक पेंटिंग बना रही थी | नज़दीक जाने पर उन्हें समझ आ गया की ये 'दीदी' ही हैं | उन्होंने दीदी को नमस्कार किया | दीदी भी उन्हें तुरंत पहचान गयी और उन्हें एक कुर्सी पर  बैठ्या |  दीदी ने सांता का कुशलछेम पूछा, फिर बोली ,' तुम सब को कुछ न कुछ देते हो इसलिए हम भी तुम्हे कुछ देगा |' फिर एक ड्रेस का पैकेट देते हुए बोली ,' सांता तुमने ये लाल ड्रेस क्यों पहना है ?  कहीं तुम मार्क्सिस्ट तो नहीं हो ? लो ये हरा ड्रेस पहन लो |वैसे भी हमारे राज्य में हरा रंग काफी लोकप्रिय है | ' सांता ने बिना कुछ कहे वो ड्रेस अपने पास रख लिया | दीदी फिर बोली ,'मैं तुम्हे एक और चीज दूंगी | ये लो मेरी शानदार पेंटिंग |' सांता दुविद्या में थे | पेंटिंग को ध्यान से देखकर बोले  ,' दीदी ये आप किसी कलाकार या बड़े व्यापारी को देना , मुझे ये समझ में नहीं आता | ' दीदी को गुस्सा आ गया पर सेक्युलर होने के नाते वो शांत रही | फिर बोली ,'सांता हमारे यहाँ का संदेश खाओ | ये बंगाल का प्यार है | ' सांता फिर दुविद्या में आ गए | थोड़ी  हिचकिचाहट के साथ बोले ,' मीठा देना और बाँटना तो मेरा काम है| आप क्यों मीठा खिला रही है ? डॉक्टर ने मेरे बढ़ते वज़न को देखकर मीठा नहीं खाने को बोला है | ये आप किसी गरीब या छोटे बच्चे को दे दीजिये | ' अब दीदी का पारा चढ़ चूका था |पेंट और ब्रश फेंककर  बोली ,' सांता तेरा दिमाग ख़राब है जो दीदी का दिया हुआ मिठाई नहीं खा रहा | भाग जाओ यहाँ से |  नहीं तो तुम यहाँ दंगा फैलाएगा | अब कभी यहाँ मत आना | ' सांता जान बचा कर भागे वहां से |
उनका अगला राज्य था उत्तर प्रदेश | दीदी के व्यवहार ने सांता को थोड़ा चौकना कर दिया | वो उत्तर प्रदेश की जानकारी इकट्ठा करने लगे | उन्होंने किसी से केसरिया ड्रेस ले लिया और चॉकलेट की जग़ह लड्डू रख लिया | उन्होंने सोचा दीदी तो खुद सफ़ेद साड़ी पहनती है फिर भी मुझे हरा ड्रेस पहना रही थी फिर यहाँ का तो मुखिया खुद केसरिया पहनता है , इसलिए केसरिया ड्रेस पहन लेने में ही भलाई है | सांता ने यहाँ हनुमान की भी चर्चा काफ़ी सुनी थी इसलिए उन्होंने चॉकलेट की जग़ह लड्डू रख लिया | सांता सबसे पहले अयोध्या सरयू नदी के घाट पर पहुँचे | सुबह होने वाली ही थी | उन्होंने अपने थैले से लड्डू निकाल कर बाँटना शुरू ही किया था की उनकी नज़र केसरिया वस्त्र पहने कुंडलधारी केश रहित छोटे कद के इंसान पर पड़ी | उन्हें थोड़ा संदेह हुआ की योगी हैं की नहीं पर आसपास बंदूकधारी कमांडो और ३-४ गाये को देखकर समझ गए की ये तो राज्य के मुखिया ही हैं | सांता भागकर गए उनके पास | उन्हें लगा केसरिया वस्त्र देख 'योगी ' जी खुश होंगे | हुआ भी वैसा ही | कमांडो के रोकने के बावजूद भी योगी जी ने उन्हें अंदर बुला लिया | योगी बोले,' आओ सांता , आसान पर विराजो | देखो, कितना अच्छा लग रहा है ये केसरिया ड्रेस तुम्हारे ऊपर | तुम्हारे रुझान को देख मैंने तुम्हारे लिए कुछ स्कीम सोचा है | मेरे हिसाब से तुम 'घर वापसी' कर लो | जिस जाति में घर वापसी करना चाहो हो जायेगा | आजकल मैं जाति प्रमाण पत्र भी तुरंत दे देता हूँ चाहे भगवान ही क्यों न हो |' सांता काफ़ी उलझन में पड़ गए | थोड़ा हिम्मत करके बोले ,' योगी जी, मेरा घर तो यहाँ है ही नहीं , मैं तो ठण्ड में कुछ समय के लिए यहाँ आ जाता हूँ | और देखिये मैं इस बार लड्डू लेकर आया हूँ | मुझे घर वापसी के झमेले में न फँसाये | ' योगी जी की आँखें क्रोध से लाल हो गयीं पर सांता के केसरिया रंग और लड्डू को देखकर शांत हो गए | कुछ सोचकर फिर बोले ,' अच्छा सांता एक काम करो,कम से कम अपने नाम की ही वापसी कर लो | अपना नाम 'संत कैलाश' कर लो | तुम्हारी दाढ़ी भी संतो की तरह ही है | यहीं सरयू के घाट पर एक कुटिया बनवा देता हूँ | अच्छे संत बन जाओगे तो एक ५१ फ़ीट की स्टेचू भी बनवा दूंगा | तुम वाजपेयी जी के जन्मदिवस पर आते हो इसलिए उन्ही के स्टेचू के बग़ल में तुम्हारा स्टेचू रहेगा | बोलो क्या कहते हो ?' योगी जी मुस्कुरा कर बोले | सांता फिर दुविधा में पर गए | थोड़ा सोच कर बोले ,' योगी जी, पूरे संसार में लोग मुझे सांता क्लॉस के नाम से जानता है | बच्चे इसी नाम से मुझे बुलाते हैं और मुझे अच्छा लगता है | मुझे माफ़ कीजिये | ' अब योगी जी का चेहरा , कान और यहाँ तक की कान के कुण्डल भी क्रोध से लाल हो गए थे | बोले ,' सांता तुम बहुत जिद्दी हो | तुम्हारा स्नेह हिंदुत्व के लिए नहीं है | तुरंत निकल जाओ हमारे प्रदेश से | 'ये कहकर योगी जी गाय के पीठ को सहलाने लगे |  सांता समझ गए ,आगे कुछ बोलने से फायदा नहीं है और थोड़ा और रुकने पर एनकाउंटर की सम्भावना भी हो सकती है | वो निकल गए तीसरे  और अपने आख़िरी राज्य की तरफ |
वो पहुँच गए देश की राजधानी | सांता थोड़ा अच्छा महसूस कर रहे थे | उन्होंने पढ़ा था की दिल्ली का मुखिया पढ़ा लिखा है और काफी मेहनत कर रहा है | सुबह लगभग हो चुकी थी फिर भी कोहरे के कारण अँधेरा छाया ही हुआ था | तभी सांता को बिजली के पोल पे चढ़ा एक आदमी दिखाई दिया जो चश्मा लगाया हुआ था , नाक पर मास्क और गर्दन में मफलर  बाँधे हुए था | वो पोल पर कुछ बाँध रहा था | सांता ने उसे आवाज़ दिया | उस आदमी ने टोर्च मरकर देखा तो सांता दिख गए | आदमी नीचे उतर आया और सांता से हाथ मिलाने लगा | ' आओ जी सांता जी,कैसे हो आप ? दिल्ली में आपका स्वागत है | आपने नाक पर मास्क नहीं बाँधा ? कोई नहीं जी कोई नहीं | मैं अभी मनीष को कहता हूँ आपके लिए मास्क ले आएगा | ' मनीष का नाम आते ही सांता समझ गए की ये तो अरविन्द जी ही हैं | सांता बोले ,' अरे नहीं अरविन्द जी , इसकी कोई जरुरत नहीं है | पर आप इस पोल पर क्या कर रहे थे ?' अरविन्द जी बोले ,' अरे वाह सांता जी ! आप तो मुझे पहचान गए | इससे पता चलता है की हमारी सरकार के चर्चे रोम तक हो रहे हैं | वाह ! ख़ैर वो मैं ऊपर कैमरा लगा रहा था और मनीष स्क्रीन पर कैमरा को चेक करने गया था | सांता जी , हम दिल्ली और पूरे देश और पूरे दुनिया के लिए बहुत काम कर रहे हैं | अगर जनता ने चाहा तो अगले  ५ साल में १५० देशों में आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाएगी | आपको यकीन न हो तो मनीष से पूछ लेना | ' सांता थोड़े अचरज में पर गए,१५० देशों में सरकार | फिर सोचा की इनका दोष नहीं है ,दिल्ली की हवा ही ऐसी है | सांता बोले ,' अच्छा अरविन्द जी, मैं चलता हूँ | आपसे मिलकर अच्छा लगा| ' अरविन्द जी भड़क गए , बोले ' अरे सांता जी , अभी अभी तो आप आये हो , कम से कम एक बार मोहल्ला क्लिनिक तो हो आओ | मुफ़्त में इलाज़ करवा लो , मुफ्त में टेस्ट करवा लो , मुफ़्त में दवा ले लो | मनीष आपको ले जायेगा क्लिनिक | सांता परेशान हो गए और बोले ,' अरे नहीं , मुझे कोई बीमारी नही है | मुझे नहीं करवाना इलाज़ | ' अरविन्द जी को गुस्सा आ गया | बोले ,' अरे ये क्या बात हुई |  अगर इलाज़ नहीं करवाना तो आपको तीर्थ यात्रा करना पड़ेगा | आपको मुफ्त में वैष्णो देवी, अमृतसर ,अजमेर की यात्रा करवाएंगे | वैसे भी आप सीनियर सिटीजन हो | आप चिंता मत करो , मनीष आपको बस से ले जायेगा | वो तो मोदी जी हमें काम नहीं करने देते , न तो आम आदमी की सरकार दिल्ली को रोम बना देती | ' सांता अब काफी परेशां हो गए थे , फिर बोले , ' अरविन्द जी , मुझे अब लेट हो रहा है , मैं चलता हूँ | मुझे जल्दी है | ' अरविन्द जी का पारा चढ़ चूका था | मफलर को ढीला करके बोले ,' सांता तुम तो बहुत जिद्दी हो | तुम्हे दिल्ली की परवाह नहीं है | मुझे तो लगता है तुम्हे  मोदीजी ने भेजा है हम पर नज़र रखने के लिए | तुम सब मिले हुए हो जी | सब मिले हुए जी | मैं अभी मनीष से कहकर तुम्हे पकड़वा दूंगा | ' ये कहकर अरविंद जी मनीष को कॉल करने लगे | सांता समझ गए की इससे पहले मनीष आये यहाँ से निकल लेना चाहिए | मनीष ने शायद अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर रखा था |