Saturday, November 2, 2013

Politics over Park


पार्क की राजनीती
अगर इलाके में कोई पार्क हो तो आस पास रहने वालों की सेहत अच्छी हो ही जाती है । कुछ लोग पार्क में टहलने और व्यायाम करने जाते हैं | कुछ लोग लोगो को ये सब करते देखने जाते हैं । तो कुछ लोग कभी जल्दी उठ जाते हैं और कुछ करने के लिए नहीं होता है तो पार्क चले जाते हैं । मैं इन में से किसी ढंग के लोगो में नहीं हूँ  । मैं हफ्ते में ३ - ४ दिन पार्क चला जाता हूँ  और इसलिए की मेरे ३ दोस्त वहां आते हैं । उन से सुबह सुबह हंसी मजाक हो जाता तो पूरा दिन ख़ुशी ख़ुशी निकल जाता है । हाँ , इसके साथ अगर नाक में ताज़ी हवा चली जाये और स्वास्थ्य उत्तम रहे तो इसमें कोई नुकसान भी नहीं है ।
२ हफ्ते पहले की बात है । मैं पार्क में अपने मित्रों के साथ बाते कर रहा था । तभी ६-७ लोग नेता वाली टोपी पहने हमारे पास आ गए । नमस्कार का आदान प्रदान हुआ । एक युवक ने लगभग ४ ५ - ५ ० साल के उम्र वाले एक सज्जन की तरफ इशारा करके बताया की ये चुनाव में खड़े हो रहे हैं । हमे भी पता चल गया की चुनाव आने वाले हैं । ए

क नयी पार्टी इस बार चुनाव में खड़ी हो रही थी और उसके प्रत्याशी ये सज्जन थे । उन्होंने अपने ईमानदारी और पार्टी की नीतियों के पर्चे हमे दिए । वो लोग आगे बढ़ गए । पर्चे में बहुत ही लोक लुभावन वायदे किये गए थे जैसा की हरेक पार्टी को करने का जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त है । पर्चे को हाथ में तोड़ते मोड़ते हम अपने बातों में व्यस्त हो गएँ । उसके तीन दिन बाद  हमने देखा की पार्क में सीमेंट , बालू , लोहे के सरिये और कुछ पत्थर गिरा दिए गएँ हैं । ये बात थोड़ी सी अटपटी लगी क्यूंकि पिछले ७ सालों में पार्क में कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ था । फिर भी ये देख कर अच्छा ही लगा ।  लगा की पार्क में बने रास्तों की कुछ मरम्त हो जाएगी । २ दिन बाद हमने देखा की पार्क के अंदर एक शामियाना लगा हुआ है । लोगो की आबाजाही कुछ जाएदा दिख रही थी । पुलिसवाले भी दिख गए । अब तो हमे यकीन हो गया की कोई बड़ा नेता आने वाला है पार्क में । सुबह सुबह खाने पीने का भी इंतज़ाम किया गया था । कचोरी , सब्जी , कोल्ड ड्रिंक और चाय । लोग व्यायाम , खेल कूद छोड़ नास्ते पर टूट पड़े थे । नेता के छोटे मोटे चेले महौल बनाने में लगे हुए थे । इसलिए तो बड़े लोग देर से सभा में आते हैं चाहे वो नेता हो , बाबा हो या हीरो । छेत्र के सांसद और पर्यावरण मंत्री अपने भाड़ी लाव लश्कर को लेकर सभा में उपस्तिथ हुए । थोड़े देर ओपचारिकता की गयी। फिर भारत माता की जय और  वन्दे मातरम् का नारा । नाश्ता और नारों के बाद  जनता अब सही में सभा में रूचि ले रही थी । जनता की नब्ज़ जानने वाले और छेत्र से लगातार ३ बार चुनाव जीतने वाले मंत्री जी खड़ा हुए भाषण देने ।  उन्होंने घोषणा की इस पार्क को करोरो की लागत से एक मॉडल पार्क बनाया जायेगा । एक ऐसा पार्क जो आसपास के छेत्र में एक मिशाल बन जाये । फ़ूड कोर्ट , स्विमिंग पूल , रंगीन फव्वारें , बच्चो के लिए अलग से पार्क , बुजुर्गो के लिए अलग से बैठकी बनाई जाएगी । आधुनिक ढंग से कार पार्किंग , फूलों के गलीचे और अनचाहे पेड़ो को काटकर ढंग से पेड़ लगायें जाएंगे । मंत्री जी ने सभा में तालियों की झड़ी लगवा दी । उन्होंने सभा में बैठे लोगों को स्वर्ग लोक की सैर करवा दी । लोगो को विश्वाश नहीं हो रहा था की जिस पार्क में वो बैठे हैं उसका ऐसा उद्धार होने जा रहा है । मंत्री जी ने ये भी घोषणा की चुकी ये पार्क शहीद भगत सिंह के नाम पर है , इसलिए उनका एक भव्य स्मारक जो पहले से लगे हुए स्मारक से बड़ा होगा , भी बनाया जाएगा । जनता को  नास्ते , नारों और वादों से पूरी तरह से मन्त्रमुग्ध करके वो सभा से विदा हो गए । शायद कहीं और भी उन्हें किसी पार्क का उद्धार करने जाना था ।
हमलोग असमंजस में थे की हमे क्यूँ नहीं लगा की इस पार्क का उद्धार भी हो सकता है । मेरे दोस्त कपूर ने बोला , " यार तभी तो वो मंत्री हैं । इतनी दूरदर्शिता साधारण लोगो में कहाँ होती है ? " " फिर भी मंत्री जी को ७ साल बाद पार्क की सुध लेने की जरुररत क्यूँ पड़ी  ? हो न हो , मंत्री जी पर नयी पार्टी का कुछ प्रभाव जरुर पड़ा है । " मैंने जोर देकर कहा । मेरे दोस्तों को भी बात सही लग रही थी ।
२ दिन बाद हम फिर मिलें पार्क में । कुछ लोग पार्क के गेट पर पर्चे बाँट रहे थे । हमने भी पर्चे ले लिए उनसे । वो लोग चुनावी दंगल की तीसरी पार्टी से थे और मुख्य विपक्षी पार्टी भी । वो पार्क में होने वाले इस निर्माण कार्य का घोर विरोध कर रहे थे । उनका कहना था की कुछ भी हो जाये , पेड़ो को कटने नहीं देंगे । करोरों रुपए इस तरह बेकार नहीं होने देंगे । पार्क की स्थिति ठीक है । हमे कुछ नहीं चहिये । रुपए का सदुपयोग करें । गरीबों के जीवन का उद्धार करने में रुपए लगायें । बातें तो इनकी भी सही लग रही थी । पार्क एक दिलचस्प चुनावी अखारा बन चुका था । पार्क का उद्धार होगा की नहीं ये भारत पाकिस्तान के क्रिकेट मैच की तरह रोमांचक हो चूका था । पार्क में घुमने फिरने वाले लोग सेहत छोड़ इन्ही बातों पर बहस करते नज़र आ रहे थे । ३ दिन बाद हमने देखा मुख्य विपक्षी पार्टी के वृद्ध नेता पार्क के बाहर अनसन पर बैठ गए हैं । उनके चेले और कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे । शाम तक काफ़ी लोग जमा हो गए। मीडिया भी पहुच गयी । आसपास रहने वाले लोग भी पहुच गए समर्थन देने । १ - २ दिनों में काफी भीड़ जमा हो गयी । सत्तापक्ष सकते में आ गयी और पुलिस की तैनाती कर दी गयी । विपक्षी पार्टी जनता के समर्थन से गदगद थी । भीड़ में कुछ आसामाजिक तत्व घुस गए । खबर आई की शाम के अँधेरे में आसामजिक तत्वों ने पुलिस पर पथराव कर दिया । पुलिस ने जवाबी करवाई में लाठी चलायी । भीड़ में भगदर मच गयी । २ वृद्ध मारे गए और १ ० लोग बुरी तरह घायल हो गए । आज सुबह पता चला की पार्क को सील कर दिया गया है और पुलिस की तैनाती कर दी गयी है । इस बीच  विपक्षी पार्टी ने मृतकों के लिए १ ० लाख रुपए मुवाबजे की माँग की है । साथ में ये भी माँग की है की मारे गए लोगो के स्मारक भगत सिंह के साथ लगायें  जाये ।